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श्याम: बाबा की कृपा से उदास बेटे के जीवन में चमत्कार

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Shyam: Sai Baba's Grace On Son's Dull Life से अनुवाद Watch Video

आगे की दी हुई घटना साई भक्त श्याम जी की है जो हेतल जी को याहू ग्रुप के माध्यम से मिले थे।
वह इस प्रकार है.....

मैं इस ग्रुप के माध्यम से बाबा को आभार प्रकट करना चाहता हूँ क्यूँकि उन्होंने कई समस्याओ के दौरान मेरे और मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनायीं रखी, और उसके लिए मेरे पास कोई शब्द ही नहीं हैं।

जब मैं दुबई में था तो वहां रहने के लिए घर पाने के लिए काफी कठिनाइयों से जूझ रहा था, मेरे अधीर मन की प्रार्थनाओं को सुनने से पहले ही बाबा ने मुझे कंपनी के द्वारा एक उपयुक्त घर खर्च दिया था, पर फिर भी किसी न किसी कारण की वजह से मुझे अपना घर नहीं मिल सका। हमारे दयालु प्रभु, मास्टर प्लानर श्री साईं बाबा यह जानते थे कि मुझे एक स्वतंत्र अपार्टमेंट में क्यों नहीं जाना चाहिए।

उस समय मेरी बीवी और बच्चे भारत में रहते थे | मेरा बेटा अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा था, पर 12 वीं  की मॉडल/क्वालिटी अस्सेस्मेंट परीक्षा के एक दिन पहले उसने थोडा निराश होते हुए कहा कि वो बोर्ड की परीक्षा नहीं देगा क्योंकि उसने कुछ पढाई नहीं की है और कोई तैयारी भी नहीं की| मैं उसे कई परामर्श केंद्र यानि काउंसिलिंग सेंटर, मनोवैज्ञानिकों और डॉक्टरों के यहाँ लेके गया, और यहां तक ​​उसने कुछ समय तक दवाईंयां भी ली।

मेरी नई नौकरी होने के बावजूद, मुझे कुछ दिनों की छुट्टियाँ लेकर दो महीनो में 3 बार भारत की यात्रा करनी पड़ी । मैं और मेरी पत्नी हम दोनों काफी चिंतित थे और हमारे पास प्रार्थना के आलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। भगवान की कृपा से और माता-पिता, शिक्षकों और शुभचिंतकों के बहुत कहने पर और सभी के आश्वासन देने पर कि वह एक होशियार छात्र है और किताबें खोले बिना भी वह निश्चित रूप से परीक्षा पास कर लेगा, आखिरकार उसने बोर्ड की परीक्षा देना स्वीकार कर लिया।

चूंकि मेरी बेटी भी 10 वीं (बोर्ड) की परीक्षा देने वाली थी, मेरे बेटे और बेटी की परीक्षा एक ही दिन पर थी और मेरी पत्नी को अकेले यह सब करने में मुश्किल होती क्योंकि हमारे बेटे को सुबह की परीक्षा देने के लिए 65 किलोमीटर दूर स्कूल में ले जाना था, और जब तक वो वापस आती तब मेरी बेटी को उसकी दोपहर की परीक्षा के लिए घर से निकलना पड़ता| मुझे भी यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू क्यूंकि मेरी वर्तमान नौकरी में मुझे अब तक एक वर्ष भी नहीं हुआ था और उस समय तक मैंने भारत के 3 दौरे कर लिए थे। बिना कुछ सोचे समझे मैं फिर से 20 दिनों की वार्षिक छुट्टी के लिए अपने बॉस के पास गया और उन्होंने बिना किसी झिझक के, यह जानने के बावजूद कि मेरे काम के कवरेज में शामिल होनेवाला एक नया व्यक्ति था,  छुट्टी की मंजूरी दे दी।

इस तरह मैं अपने बच्चों की परीक्षा के एक दिन पहले घर पहुंच सका और अंतिम परीक्षा के अगले दिन तक वहां रह सका। सभी परीक्षाओ के दिन, मेरी पत्नी और बेटे को स्कूल भेजने के बाद, मैं भगवान के सामने दीपक जलाकर नियमित प्रार्थना करता था और जब तक वे वापस नहीं आते तब तक मैं साईं अमृत वाणी सीडी सुनता था जो मनीष जी ने मुझे दुबई में दीं
थी| मैं धीरे से बाबा से अपने सभी भय के बारे में बात करता,  मुझे यह भी महसूस होता जैसे बाबा मुझे आश्वासन दे रहे हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। हालांकि परीक्षा खत्म हो गई थी, हम सभी परेशान और चिंतित थे और ये प्रार्थना कर रहे थे की मेरे बेटे को कम से कम पास होने कए लिए अंक मिल जाएं ।

जब परीक्षा के परिणाम आए तो मेरी बेटी को 90% से अधिक अंक मिले और मेरा बेटा 82% से अधिक अंको के साथ पास हो गया। साईनाथ की कृपा से मेरा बेटा अब सामान्य है और इंजीनियरिंग कोर्स के लिए नामांकन की प्रक्रिया में है। मेरी बेटी अपने उच्च माध्यमिक अध्ययन के लिए एक बहुत अच्छे स्कूल में दाखिल हुई है। वहां उसे हॉस्टल की सुविधा भी मिली और वो प्रसिद्ध प्रोफेसर पीसी थॉमस की क्लास में भी शामिल हो गई है। और इस तरह मेरी पत्नी को भी अब मेरे साथ यहाँ आकर रहने का मौका मिल सकेगा।

इसके साथ-साथ मुझे दुबई में ही एक बहुत अच्छा स्वतंत्र आवास (अपार्टमेंट) मिल गया है। मेरे साईंनाथ, मेरे प्यारे बाबा, मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं कि मैं आपको इस दया और प्रेम के लिए कैसे धन्यवाद करूँ, और यह भी नहीं पता कि आपकी सभी अनुग्रह और आशीषों के लिए कैसे आत्मीय आभार व्यक्त करूँ।

कृपया मुझे और मेरे परिवार को अपने चरण कमलो में स्वीकार करें और हम आपसे यह प्रार्थना करते हैं कि आप हमें इसी तरह रास्ता दिखाते रहें और जीवन में हमेशा आगे बढ़ने के लिए हमारा मार्गदर्शन करते रहें।

एक बार मैं फिर हमारे बाबा के चरणो में कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ ।

जय साईनाथ। [line] Translated and Narrated By Rinki Transliterated By Supriya

© Sai Teri Leela - Member of SaiYugNetwork.com

2 comments:

  1. It was so blissful to read your experience. May Baba bless your Family Om SaiRam

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