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साईं भक्त शिरीष: साईं बाबा ने समस्याओं को समर्पण करना सिखाया

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साईं भक्त शिरीष कहते है: नमस्ते हेतल पाटिल जी। आशा करते हूँ आप ठीक हैं। साईंबाबा से संबंधित मेरे कई अनुभव साझा करना चाहता हूं। साईंबाबा की कृपा ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसकी हमें तलाश करनी चाहिए, मुझे इस बात के महत्व का एहसास हुआ है। साईबाबा ने मुझ पर हमेशा कृपा बरसाई है। भविष्य में मैं प्रत्येक अनुभव को विस्तार से लिखूंगा, यहां मैं संक्षेप में लिख रहा हूं। आपका ब्लॉग वास्तव में अच्छा है, और बहुत अच्छी और महत्वपूर्ण जानकारी और संदेश देता है।

सभी को नमस्ते,

ओम साईराम।

2005 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं एमबीए करना चाहता था और मैंने उसी के लिए परीक्षा दी थी। लेकिन परीक्षा के लिए इतनी गंभीरता से मेहनत नहीं की थी, और फिर साईबाबा से प्रार्थना करी (मुझे उस समय हमारे साईबाबा के बारे में पता नहीं था)। हमारे घर में एक साईबाबा का पोस्टर है, जिस पर "अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक। राजा धी राज योगी राज। परम ब्रह्मा, श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईं नाथ महाराज की जय" लिखा हुआ था। मैं उस मंत्र को जपता था और साईबाबा से अपने पसंदीदा कॉलेज में एमबीए की सीट माँगा करता था।

मुझे MBA में प्रवेश (एड्डमिशन) नहीं मिला, लेकिन मुझे अपने कॉलेज की प्लेसमेंट टीम से इंटरव्यू का अवसर मिला और नौकरी मिल गई। मुझे थाणे में नौकरी मिली और मैं थाणे चला गया। यह साईबाबा की ही इच्छा थी जो अब मुझे समझ में आ गया है कि यह मेरे हित में सबसे अच्छा था। मैं किसी ना किसी चीज़ के लिए, या फिर अपनी समस्याओं को हल करने के लिए बाबा से प्रार्थना करता रहता था, और साथ ही अपनी समस्याओं के समाधान के साईंबाबा को सुझाव भी देता रहा ।

थाणे में एक साईबाबा मंदिर है जहां मैं जाया करता था। लेकिन मैं गंभीरता से कभी नहीं समझ पाया कि साईबाबा मुझे क्या बताना और समझना चाहते थे। मैं साई सतचरित्र पड़ने लगा और बाबा के बारे में और ज्यादा जानने लगा। लेकिन अभी भी बाबा के बारे में अनजान था क्योंकि मैं बाबा के बताए हुए रास्ते पर नहीं चल रहा था। कुछ परेशनिया (जिनके बारे में मैं बाद में बताऊंगा), मेरे जीवन में आईं जिससे मैं बहुत परेशान हुआ, और मैं कह सकता हूं कि इन घटनाओं से मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया।

मैंने मुंबई में तीन साल तक काम किया और दो कंपनियों में कार्य किया। और मुझे अपनी पहली नौकरी बदलने के बाद अच्छी सैलरी मिली और सीखने का अनुभव भी मिला। मैंने फिर से एमबीए कोर्स शुरू करना चाहा। यह साईबाबा की कृपा थी कि मुझे सबसे अच्छा काम करने का अनुभव प्राप्त हुआ, और छोटी सी अवधि में सबसे अच्छा वेतन मिला। अपने जीवन के इस समय तक मुझे श्रद्धा और सबुरी, भक्ति और संतुष्टि के वास्तविक महत्व का एहसास नहीं हुआ था।

साईबाबा की कृपा से मुझे सबसे अच्छे कॉलेज में वर्ष 2008 में एमबीए में एडमिशन मिला, जिसमे मैं सच मे जाना चाहता था। मैं बहुत खुश था, लेकिन मैंने अब तक मेहनत नहीं की थी। मेरा अधिकांश (ज़्यादातर) समय पहले उल्लेखित परेशानी में व्यतीत होता था। मैं अपनी ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप (समरइंटर्नशिप) के लिए मई-2009 के महीने में चेन्नई गया और जुलाई-2009 तक वहाँ रहा।

इस अवधि मैं अपनी परेशानियों में इतना उलझा हुआ था कि मैं बहुत निराश था, और सबसे बहुत ही बुरे तरीके से व्यवहार कर रहा था। मैं खुशी से नहीं जी पा रहा था। चार साल से साईंबाबा के संपर्क में रहने के बाद भी इस समय तक मुझे श्रद्धा, सबुरी, भक्ति, समर्पण के वास्तविक अर्थ के बारे में नही पता था, और यही सब साईबाबा हमसे चाहते थे। तब साईंबाबा ने मेरी मदद की। मेरे पास चेन्नई में पर्याप्त समय था और अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल रही थी, मैं अपना अधिकांश समय साईबाबा की कृपा से भक्तों के अनुभव से संबंधित ब्लॉग पढ़ने में बिताया करता था। इससे वास्तव में मेरा विश्वास बढ़ा, लेकिन निराशा अभी भी थी और मुझे बहुत परेशान कर रही थी।

मैंने अलपेशजी द्वारा लिखे गए ससाई बाबा पर ध्यान का लेख पढ़ा और मैंने मनीषा जी के ब्लॉग में कई लेख पढ़े। फिर मैंने मनीषा जी से कुछ प्रश्न पूछे, और उन्होंने उत्तर दिया। और मैं कह सकता हूं कि इन चीज़ों के वजह से मेरे जीवन में एक मोड़ आया। यह साईबाबा की कृपा थी कि मुझे इन ब्लॉगों को पढ़ने का अवसर मिला, और मैं मनीषा जी और अलपेशजी से भी बात कर सका।

मैंने उन सभी चीज़ों का पालन करना शुरू कर दिया जो साईंबाबा ने हमें सिखाईं थी। मैंने अपनी सभी समस्याओं को साईंबाबा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उनसे प्रार्थना करी कि वे मेरे मन को हर तरह के भय, क्रोध, अहंकार, निराशा और सभी नकारात्मक भावनाओं से मुक्त रखें। साईंबाबा की कृपा के कारण मैं अपने मन को तनाव और भय से मुक्त कर पाया। अब साई सतचरित्र पुस्तक पढ़ते हुए मैं वही सब सीख रहा हूँ, जो साईबाबा ने बताया और सिखाया था।

मैं सभी को बताना चाहता हूं कि कृपया अपनी सभी परेशानियों, समस्याओं और चिंताओं को साईबाबा को सौंप दें, और किसी परेशानी का हल ना पूछें। साईंबाबा ने जो भी फैसला किया है, वह हमारे हित में सबसे अच्छा है। मुझे परेशानियों को आत्मसमर्पण करने के महत्व का एहसास हुआ है, और मैं हर रोज सीख रहा हूं कि हमारे लिए श्रद्धा और सबुरी कितनी महत्वपूर्ण है। आज मैं केवल वही चीज जानता हूं जो मेरे और सभी के जीवन में महत्वपूर्ण है, और वो है साईबाबा की कृपा के लिए प्रार्थना करना। साईंबाबा और उनकी कृपा ही केवल एक व्यक्ति के सबसे अच्छे दोस्त हैं। जो समस्या मैंने ऊपर बताई है, वह साईंबाबा की कृपा से खत्म हो जाएगी और मैं वह पोस्ट करुंगा।

मैं वास्तव में मनीषा जी, अलपेशजी और हेतलजी का आभारी हूं कि उन्होंने इस तरह के अद्भुत ब्लॉग बनाए और मेरे प्रश्नों का उत्तर दिया। ओम साईराम

सादर

शिरीष


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