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बाबा ने लिखवाई स्टोरीज़ - सुप्रिया सिंह

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1 जनवरी 2018 को बाबा मेरे सपने में आए और खड़े होकर बोले कि "थोड़ी और मेहनत कर, बहुत सारी स्टोरीज़ (कहानिया) लिख, फेम मिलेगा (यानि तू मशहूर होगी)"। उस समय मैंने सोचा क्यूंकि मैं एक जर्नलिस्ट हूँ, और न्यूज़ - जो की एक तरह से कहानिया ही हैं - लिखना मेरा काम है, तो बाबा मुझे मेरे काम ले लिए मेहनत करने के लिए बोल रह होंगे। मगर बाद में मुझे लगा कि बाबा मुझे अपने काम और उनके बार में, दोनों चीज़ो के बारे में लिखने के लिए बोल रहे होंगे। इन सब के पीछे बहुत सालों की इच्छा और बाबा के संकेत हैं, जो कि आपको आगे पढ़कर पता चलेगा।

जैसा की साई सतचरित्र में लिखा है कि जब मनुष्य परेशनियो से घिरा होता है तभी भगवान को याद करता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैं बाबा की पूजा तो 2005 से कर रही थी, मगर लगभग 2012 में कुछ कठिनाइयों के समय में मुझे इंटरनेट से बाबा के चमत्कारों को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Devotees experinece of sai baba नामक ब्लॉग के बारे में पता चला। मैं रोज़ उस ब्लॉग में बाबा के भक्तो के अनुभव और चमत्कारों को पढ़ने लगी और अपनी परेशानियों का सामना करने के लिए हिम्मत बटोरने लगी। वो दिन था और अब 2018 है, आज भी बाबा ने मुझे उस ब्लॉग से जोड़ रखा है।

मगर मैं अक्सर सोचती थी कि ऐसा क्यूँ है कि यह खज़ाना सिर्फ अंग्रेजी पड़ने वालो तक ही सिमित है। मेरा मन था कि जो लोग अंग्रेजी नहीं पढ़ सकते, जैसे की मेरे रिश्तेदार या मेरे माता-पिता के उम्र के लोग, वो भी बाबा के अनुभवों को पढ़कर अपने कठिन समय में आशा की किरण देख सकें, उन्हें भी हिम्मत मिले की एक दिन सब ठीक हो जाएगा। मुझे ऐसा लगता है ज़िन्दगी में सबसे ज़रूरी Hope यानि आशा है, और वो देने मे तो हमारे बाबा माहिर हैं। मैं सोचती थी कि किसी दिन मैं हेतल जी से मिल पायी तो उनसे ज़रूर कहूँगी की हिंदी ब्लॉग भी शुरू करना चाहिए।

मगर हम सबके राइटर बाबा तो पहल से ही ये सब रच रहे थे। मैं महापारायण और नामजप का भाग हूँ और इसी तरह पूजा गर्ग जी को जानती हूँ, बल्कि उस अंग्रेजी ब्लॉग के द्वारा ही मुझे महापारायण के बारे में पता चला और मैंने जापान मे टीम बनाने ले लिए अपना नाम दिया। पूजा जी अपने महापारायण के ब्लॉग के लिए हिंदी ट्रांसलेटर को ढूंढ रही थी और मैंने अपने सपनो के बारे में बताया जिस में बाबा ने मुझे कहानीया लिखने को कहा था।

बाबा एक और माध्यम से मुझे उनके बारे में लिखने का संकेत दे रहे थे। कई सालो से मुझे बाबा की प्रश्नावली में उत्तर आता था कि "धार्मिक किताबो का पठन और लेखन होगा।" मुझे पहले समझ नहीं आता था कि बाबा मुझे ये बिलकुल अलग जवाब क्यों देते हैं, मगर बाद में मुझे लगा कि क्यूंकि मैं जापान में हूँ तो बाबा चाहते होंगे की मैं जापानी भाषा में उनके लिए कुछ लिखूं। जापानी भाषा का तो पता नहीं फिलहाल पूजा जी ने मुझे हेतल जी से कनेक्ट करवाया और मैं हिंदी ब्लॉग से जुड़ गई। वो सपना जनवरी को आया था और 6 मार्च को मैंने हेतल जी से पहली बार बात करी और इस ब्लॉग के लिए काम करना शुरू किया।

मैं करीबन 9 सालों से जापान में अकेले रहती हूँ। मेरा परिवार भारत में ही है। मुझे इन सालो में - जब से मैं एक छात्र थी तब से बहुत लोगो ने सहारा दिया है। अगर वो लोग नहीं होते तो पता नहीं मैं यहाँ तक अकेले नहीं पहुंच पाती। इसीलिए मुझे जो भी इस दुनिया से मिला है उसे बाबा की सेवा के रूप में या किसी और भी माध्यम से इस दुनिया को लौटना चाहती हूँ।

जय बाबा, मुझे अपने पैरों से दूर मत जाने देना।

इस कहानी का ऑडियो सुनें




Translated and Narrated By Rinki Transliterated By Supriya

© Sai Teri Leela - Member of SaiYugNetwork.com

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